अगर आज भी कोई गुलाम है…
अगर आज भी कोई दबा कुचला दलित है..
अगर आज भी कोई अपनी इक्ष्वाओ से वंचित हैं तो औरत है
क्युकी बाप नाम के रिश्ते ने आधी उम्र तानाशाही की
बार बार रिसते का दावा कर के रोका टोका..
फिर अपने जैसे ही तानशाह के हाथो सौपा.
वो भी एक रिसते का दावा किया और
हर बार एक औरत को एक पुरुष के रिसते..
को निभाने के लिए अपने सपनों को जलाने पड़े
एक औरत को रिसते के बंधन में बंध कर
उसके मान सम्मान उसकी मुस्कान को झोंका गया।
तो एक औरत आज भी गुलाम हैं।